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Friday, June 3, 2011

khub karo masti

यारो खूब करो मस्ती
और दूर करो सुस्ती
ये तो खेलने का टाइम
तो क्यों लेते हो tension 
इन्ही दिनों की बात है
जब कभी हम साथ थे
खूब मस्ती में हाथ थे
 घूमना firna थो फितरत थी
और घर में भी न कोई दिक्कत थी
सुबह से शाम और शाम से रात
ये तो यारो सब अपनी थी
 बस यू ही समय बिताना 
ये तो अपनी नस में थी
लेकिन एक्साम की वो रात
उसमे में भी थे साथ 
न साथ छोड़ा
न हाथ छोड़ा 
और एक साथ फ़ैल होने का
वादा जोड़ा
लेकिन किस्मत थी साथ
 तो कैसे लगेगी 
निरासा आने हाथ
फिर क्या था ?
लग गयी किस्मत
और पास हो गये हम सब
 फिर से वाडे जोड़े
और साथ न छोड़ने के 
हाथ साथ में जोड़े
इसिलए कहता hu 
यारो खूब करो मस्ती
और दूर करो सुस्ती

    

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